Introduction
सूर्यदेव के सम्मान में बना एक भव्य The Konark Sun Temple, एक ऐसा मंदिर जिसमें कभी सूर्य भगवान की हवा में तैरती मूर्ति हुआ करती थी। एक ऐसा मंदिर जिसे शायद श्री कृष्णा के बेटे ने बनाया था। Architectural Beauty माने जाने वाले Ancient India में बने सबसे खूबसूरत ईमारत में बने एक The Konark Sun Temple इस मंदिर की Unique Architecture, British Govt. के होश उड़ा दिए थे।
पर आज एक World Heritage Site बनकर खड़ा यह मंदिर कई सालों तक एक वीरान जंगल में बसी सिर्फ एक टूटी इमारत बनकर रह गया था। उड़ीसा के पूरी शहर से कुछ ही किलोमीटर दू र एक छोटा सा शहर है, कोनार्क यहां समुद्र के तट पर आपको दिखेगा पत्थर से बना एक भव्य मंदिर इस मंदिर के मेन Entrance की ओर जाते ही आपको दोनों तरफ शेर की विशाल मूर्तियां दिखाई देगी।
एक शेर जो अपने नीचे दबे हुए हाथी पर हमला कर रहा है और उस हाथी के भी नीचे दबा हुआ एक इंसान, कहा जाता है यह मूर्तियां इंसान की बुरी आदतों को दर्शाती है शेर इंसान के घमंड को दर्शाता है और हाथी पैसा या संपत्ति को, अगर इन दोनों चीजों की लत लग जाए तो ये इंसान की जिंदगी को खत्म कर सकती है।
The Legend Who’s Build Konark Sun Temple
ऐसा माना जाता है कि पूर्व गंगा वंश के King Narsimha Dev The First ने कोनार का यह सबसे पहला सूर्य मंदिर 1244 सीई में बनाया था। लेकिन साम्ब पुराण की एक कहानी के अनुसार इस मंदिर को श्री कृष्ण के बेटे साम्ब ने बनाया था सां श्री कृष्णा और जांव के बेटे थे जो काफी ज्यादा शरारती थे।
श्री कृष्ण उनके बुरे व्यवहार से बहुत ज्यादा परेशान थे देखते-देखते साम्ब का बुरा व्यवहार इतना बढ़ गया था कि श्री कृष्ण के क्रोध की सारी सीमाएं पार हो गई उन्होंने साम्ब को समझाने की कोशिश की उन पर क्रोधित हुए पर साम्ब अपने पिता की कोई बात सुनने के लिए तैयार ही नहीं थे वो हंसने लगे और अपने पिता से बहस करने लगे। श्री कृष्ण को अपने पुत्र का ऐसा बर्ताव स्वीकार नहीं था वो बहुत क्रोधित हो गए और साम्ब को दंड देने के लिए उन्होंने उसे एक भीषण श्राप दे दिया।
श्री कृष्ण ने कहा कि साम्ब को कुष्ठ रोग यानी Leprosy Disease हो जाएगी एक ऐसी बीमारी जिसमें शरीर में फोड़े हो जाते हैं शरीर के अंग सुन पड़ने लग जाते हैं। श्री कृष्ण के श्राप के कारण साम्ब को अब एक लंबे समय तक दर्द सहना होगा कई साल बीत गए साम्ब अपने बुरे व्यवहार की सजा भुगते रहे थे।
फिर एक दिन उनकी मुलाकात ऋषि कटक से हुई ऋषि कटक को साम्ब की हालत देखकर उन पर दया आ गई उन्होंने साम्ब को सूर्य भगवान की भक्ति करने की सलाह दी और कहा कि उन्हें 12 साल तक कड़ी तपस्या करनी पड़ेगी, साम्ब ने ऋषि कटक की बात मानकर चंद्रभागा नदी के किनारे मित्रावन में 12 साल तक तप किया सूर्य भगवान उनकी भक्ति से प्रसन्न हो गए और उन्होंने साम्ब को आशीर्वाद दिया उस आशीर्वाद से शाम की बीमारी दूर हो गई। उन्होंने सूर्यदेव को धन्यवाद देते हुए उन्हें वचन दिया कि वो उनके सम्मान में एक मंदिर बनाएंगे और इस तरह Konark में सूर्य भगवान का सबसे पहला मंदिर बना।
Unique Architecture of The Konark Sun Temple
The Konark Sun Temple की दीवारों पर कई ऐसे भी Sculptures हैं जो काफी ज्यादा erotic है अलग-अलग Intimacy Acts और Positions इन Sculptures में नजर आते हैं। यह मंदिर Kalinga Architectural Style को ध्यान में रखकर बनाया गया है कहा जाता है कि King Narsimha Dev the First, archeology में बड़ी दिलचस्पी रखते थे और वह चाहते थे कि यह मंदिर समाज में धार्मिकता और आधुनिकता का प्रतीक बने।
इसलिए उन्होंने 13वीं सदी के सबसे ज्ञानी Architect Vishu Maharana को बुलाया और उन्हें इस मंदिर को बनाने का काम दिया। इस मंदिर को कुछ इस तरह बनाया गया कि सूर्य की सबसे पहली किरण सीधे गर्भ ग्रह में रखी सूर्य भगवान की प्रतिमा पर पड़ती है और हर सुबह सूरज के उगते ही मंदिर का गर्भ ग्रह रोशनी से भर जाता है माना जाता है सूर्य भगवान स्वर्ग में एक रथ पर सवार होकर यात्रा करते हैं और कोनार्क मंदिर को इसी रथ के आकार में बनाया गया है।
सात घोड़ों से खींचा जा रहा एक विशाल रथ जिसके 24 पहिए हैं। इस रथ के पहिए साल के 12 महीनों को Represent करते हैं और इनकी खास बात यह है कि ये बिल्कुल किसी घड़ी की तरह बनाए गए हैं, हर एक पहिए में कुल 16 तीलियां है आठ बड़े और आठ छोटे हर एक बड़ी तिली में तीन घंटे का डिफरेंस है और इन पहियों के आठ Section दिन के आठ पहर को Represent करते हैं।
आज 770 साल बाद भी लोग सूरज की किरणों का इस्तेमाल करके 13वीं सदी में बनाए गए इन पहियों के जरिए बिल्कुल सटीक समय Calculate कर सकते हैं। इस रथ को खींच रहे सात घोड़े हफ्तों के सात दिन और इंद्रधनुष के सात रंगों को Represent करते हैं हफ्ते के सात दिन तो ठीक है पर यहां गौर करने वाली बात यह है कि Scientific Evidence के अनुसार इंद्रधनुष के रंग 15वीं सदी में Discover हुए थे तो क्या हमारे पूर्वज पहले से ही इन रंगों के बारे में जानते थे।
Floating Idol in The Konark Sun Temple
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में सूर्य भगवान की हवा में तैरती हुई मूर्ति हुआ करती थी। मंदिर को बनाते वक्त सूर्य भगवान की एक विशाल मूर्ति बनाई गई।
एक 52 टन का Natural Magnet मंदिर के ऊपरी हिस्से में लगाया गया और निचले हिस्से में दो पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए लोहे की चादर और Magnets का इस्तेमाल किया गया। इन दोनों Magnets के बीच एक खिंचाव तैयार हुआ जिसे diamagnetic field कहते हैं भीषण महाराणा के 12 साल के बेटे धर्म पद को पता था कि दो Magnets से बनी diamagnetic field में किस तरह एक तीसरा Magnet Balance किया जाता है।
सूर्य भगवान की मूर्ति को मंदिर के दोनों हिस्सों से Equal Distance पर रखना जरूरी था। धर्म पद ने कारीगरों को यह समझाया, कारीगरों ने ठीक वैसा ही किया और इस तरह यह हवा में तैरती सूर्य भगवान की मूर्ति इस मंदिर की रौनक बन गई लेकिन आधुनिकता और Culture का एक खूबसूरत Combination माना जाने वाला यह मंदिर जल्द ही अपनी रौनक खोने वाला था।
Destruction of The Iconic Konark Sun Temple
1508 सुल्तान सुलेमान खान, करानी के जनरल काला पहाड़ ने ओडिशा (Odisha) पर हमला किया। उसने ओडिशा के कई मंदिरों पर हमला किया और बड़ी बेरहमी से मंदिरों को नस्ट कर दिया। इस हमले को जगन्नाथ पुरी मंदिर के मदाला पंजी टेक्स्ट में संक्षिप्त में बताया गया है।
हमले के दौरान जब काला पहाड़ Konark Sun Temple के अंदर गया उसने वहां सूर्यदेव की विशाल मूर्ति को देखा, हवा में तैरती उस मूर्ति को देखकर वो दंग रह गया। उसने अपनी सेना के साथ Konark Sun Temple के दीवारों पर हमला किया। उसने मंदिर की दीवारों को तोड़ने की कई कोशिश की और आखिरकार वह मंदिर के Main Tower के Arc Stone को हटाने में कामयाब रहा। इस पत्थर को हटाते ही कुछ ही मिनटों में मंदिर का 200 फीट ऊंचा Main Tower पत्थरों के ढेर में बदल गया।
सन 1568 से ओडिशा में इस्लामिक Powers का Control बढ़ गया। कई मंदिरों पर हमले हुए और भगवान की मूर्तियों को भी नस्ट कर दिया गया। कहा जाता है कि इस तबाही से बचने के लिए कोनार्क के पुजारियों ने सूर्य भगवान की मूर्ति को मंदिर से निकाल कर कई सालों तक रेत के अंदर छुपा कर रख दिया। कुछ कहानियां तो यह भी कहती है कि काला पहाड़ पहले एक हिंदू हुआ करता था। जिसका नाम राजीव लोचन रॉय था वो एक मुस्लिम लड़की से प्यार करने लगा और उसे पाने के लिए उसने इस्लाम धर्म को स्वीकार किया जहां एक तरफ afghani rulers कारण बताया जाता है।
वही कुछ Historians का मानना यह है कि सब सिर्फ earthquake और volcanic eruption जैसी Natural calamities के वजह से हुआ था और इन्हीं calamities की वजह से इस मंदिर के आसपास की कई सारी water bodies सूख गई IIT Kharakpur के scientist द्वारा Research में Konark Sun Temple से 2 Km दूर प्राचीन इंडिया की प्रचलित नदी चंद्रभागा के कुछ अवशेष मिले जिससे यह साबित हुआ कि पहले वहां एक नदी हुआ करती थी जो अब पूरी तरीके से सूख चुकी चुकी है।
मंदिर से मूर्ति निकाले जाने के बाद कोनार्क मंदिर में सूर्य भगवान के भक्तों का आना बंद हो गया 17 और 18th सेंचुरी के दौरान कभी कोनार्क मंदिर के Sculptures को निकालकर ओडिशा के दूसरे मंदिरों में बसाया गया। तो कभी इनसे राजाओ के महल सजाए गए।
1779 में एक मराठा साधु ने कोनार्क मंदिर के अरुणा खंब को हटाकर जगन्नाथ पुरी मंदिर के लायंस गेट के सामने बसाया था। ओडिशा के Sculptures Heritage में इन दोनों ही मंदिरों का काफी ज्यादा Importance है। इस तरह 18th सेंचुरी के अंत तक कोनार्क की सारी शान खत्म हो गई और यह छोटा शहर एक घने जंगल में बदल गया एक ऐसा जंगल जहां सिर्फ जंगली जानवर रहते थे। इंसान दिन की रोशनी में भी इस जंगल में जाने से कतराते थे सूर्य भगवान का यह भव्य मंदिर सिर्फ एक खंडर बन कर रह गया था।
Restoration of The Konark Sun Temple
कई समय तक विरान पड़े रहने के बाद 1837 में Scottish historian James Ferguson ने कोणार्क को Explore किया और इस मंदिर पर Study की तभी से इस मंदिर को International Attention मिलना शुरू हुआ। और फिर 1900 सीई में British Post Governor John Woodburn ने जब इस मंदिर के Reconstruction और Conservation का काम शुरू किया। देखते ही देखते कोणार्क का यह मंदिर एक Cultural और Tourist Site में बदल गया। पर British Government ने Restoration के वक्त इस मंदिर के Main Entrance को रेत की मदद से बंद कर दिया था।
इसके पीछे का कारण क्या था यह आज तक एक राज़ बना हुआ है Konark Sun Temple के unique architecture और culturally significant को देखकर 1984 में UNESCO ने इसे World Heritage Site declared कर दिया।
Archaeological Survey of India इस मंदिर से रेत निकालकर कई सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश कर रही है। इस मंदिर का architecture और उससे जुड़ी History हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि शायद हमारे पूर्वज अपने समय से कई ज्यादा Advance थे। आपके इसके बारे में क्या थॉट्स है हमें कमेंट्स में जरूर बताइए और अगर Article अच्छा लगा हो तो इसे Comments में बताइये और शेयर कीजिए और ऐसी ही अनसुनी अनकही और अनदेखी कहानिया आपके लिए लिखते रहेंगे।
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For More About Korank: https://odishatourism.gov.in/content/tourism/en/discover/attractions/temples-monuments/konark.html